💥 चैत्र शुक्ल पक्ष दिन बुधवार आद्रा नक्षत्र,शोभन योग,विष्टि करण के शुभ संयोग में 29मार्च 2023 को ही दुर्गा अष्टमी माता महागौरी की पूजा मान्य रहेगी, जिन परिवारों में या जिन माताओं बहनों के यहां अष्टमी के दिन कन्या पूजन होता है उन माताओं बहनों को सप्तमी(28 मार्च मंगलवार) वाले दिन ही व्रत रखना उचित रहेगा
🌻माता महागौरी को गुलाबी रंग पसंद है भोग में नारियल इससे पसंद है इससे संतान संबंधी परेशानियो से हमेशा-हमेशा को मुक्ति मिलती है*
🏵माता महागौरी की पूजा पाठ, पूजा विधि और माता के विषय में ,कन्या लांगुर जिमाने के शुभ समय के विषय में बता रहे हैं पंडित हृदय रंजन शर्मा
💥मां दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम माता महागौरी है नवरात्र के आठवें दिन इनकी पूजा का विधान है सौभाग्य, धन संपदा ,सौंदर्य और स्त्री जिनत गुणों की अधिष्ठात्री देवी महागौरी हैं ,18 गुणों की प्रतीक महागौरी अष्टांग योग की अधिष्ठात्री देवी हैं वहधन-धान्य, ग्रहस्थी ,सुख और शांति की प्रदात्री है महागौरी इसी का प्रतीक है इस गौरता कि उपमाशंख,चंद्र और कुंद के फूल से की गई है इनके समस्तवस्त्र आभूषण आदि स्वेत है.अपने पार्वती रूप में इन्होंने भगवान शिव को पति के रुप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी इससे उनका शरीर एकदम काला पड़ गया था तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगाजी के पवित्र जल से धोया (छिड़का )तो वह विद्युत प्रभाके समान अत्यंत कांतिमान गौर (अति सुंदर) हो गई और वह माता महागौरी हो गई महागौरी सृष्टि का आधार है मां गौरी की अक्षत सुहाग की प्रतीक देवी हैं इनकी उपासना से भक्तों के सभी पाप संतापदैन्य दुख उनके पास कभी नहीं आते है.मां महागौरी का ध्यान सर्वाधिक कल्याणकारी है जीन घरो मै अष्टमी पूजन किया जाता है और अष्टमी के दिन जो माताएं बहने अपने नवजात शिशु की दीर्घायु एवं उत्तम स्वास्थ्य की रक्षा के लिए पूजा याव्रत रखती हैं या पथवारी माता की पूजा करती हैं उन सभी के लिए अष्टमी का व्रत माता महागौरी की पूजा अत्यंत ही कल्याणकारी व महत्वपूर्ण होती है
🏵सुख संपन्नता प्रदाता माता महागौरी को शिवा भी कहा जाता है इनके एक हाथ में शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरु है तीसरा हाथ वर मुद्रा में है और चौथा हाथ एक ग्रहस्थ महिला की शक्ति को दर्शाता है नवरात्र के आठवें दिन माता महागौरी की उपासना से भक्तों के जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं और मार्ग से भटका हुआ जातक भी सन्मार्ग पर आ जाता है मां भगवती का यह शक्ति रूप भक्तों को तुरंत और अमोघ फल देता है भविष्य में पाप- संताप निर्धनता दीनता और दुख उसके पास नहीं भटकते इनकी कृपा से साधक सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है उसे अलौकिक सिद्धियां सिद्धियां प्राप्त होती हैं माता महागौरी का अति सौंदर्यवान शांत करुणामई स्वरूप भक्तों की समस्त मनोकामनाओ को पूर्ण करता है ताकि वह अपने जीवन पथ पर आगे बढ़ सके कंद ,फूल,चंद्र अथवा श्वेत शंख जैसे निर्मल और गौर वर्ण वाली महागौरी के समस्त वस्त्र आभूषण और यहां तक कि इनका वाहन भी हिम के समान सफेद रंग वाला बैल माना गया है इनकी चार भुजाएं हैं इनमें ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल और ऊपर वाले बाएं हाथ डमरू को नीचे वाला बाया हाथ वर मुद्रा में रहता है माता महागौरी मनुष्य की प्रवृत्ति सत्य की ओर प्रेरित करके अस्त्र का विनाश करती हैं माता महागौरी की उपासना से भक्तों को अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है इनकी शक्ति अमोघ और सधःफलदायनी (जल्दी फल देने वाली) है इनकी उपासना से भक्तों के सभी कल्मष (कष्ट) धुल जाते हैं और पूर्व संचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्य का अधिकारी हो जाता है
🌹पूजा पाठ एवं कन्या लांगुरा जिमाने का शुभ मुहूर्त
🏵विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त अनुसार प्रातः 06:25से लेकर सुबह 09:25तक दो बहुत ही सुंदर “लाभ, अमृत “के चौघड़िया मुहूर्त रहेंगा जो पूजा पाठ हवन यज्ञ अनुष्ठान के लिए बहुत ही सर्वोत्तम कहे जा सकते हैं इसके बाद सुबह 10:55 से लेकर 12:35 तक “शुभ” का चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध रहेंगा पढ़ाई लिखाई करने वाले विद्यार्थियों और व्यापारियों के लिए भी शुभ कहा जाएगा इसके बाद दोपहर 02:05 से सांय 3:35 तक उद्देग ,चर के दो सुप्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध रहेंगे इसमें नौकरी पेशा और पढ़ने वाले बच्चों के लिए पूजा करना सर्वोत्तम रहेगा, इसमें व्यापारी वर्ग के लोगों के लिए पूजा पाठ करना व जिन कन्याओं की शादी में विलंब है व जिन माताओं बहनों के संतान में दिक्कत परेशानियां आरही हैं उन लोगों के लिए पूजा पाठ करना सर्वोत्तम रहता है |
🌸इसके लिए माता बहने प्रातः काल उठकर साफ शुद्ध होकर पूजा घर में गंगाजल को छिडके उसे शुद्ध करें माता को नए वस्त्र आभूषण, सजावट ,सिंगार करके पूजा पूजा घर कोसुन्दरबनाये पूजा घर में 9 वर्ष तक की कन्या से हल्दी, रोली या पीले चंदन का हाथ का (थापाचिन्ह)लगवाएं जिससे देवी मां का स्वरूप मानते हैं बच्ची को यथायोग्य दक्षिणा या उपहार देकर विदा करें उसके पैर छुए आशीर्वाद लें इसके बाद सपिरवार वहां बैठ कर पूजा पाठ हवन यज्ञ अनुष्ठान माला जाप दुर्गा सप्तशती का पाठ आदि करें तत्पश्चात कन्या लागुराअवश्य जिमाये बचे हुए प्रसाद मैसे थोड़ा सा भोग प्रसाद अवश्य लें इसे माता का भोग प्रसाद समझकर ग्रहण करें इससे ही व्रत का पारण होता है |
🍁पौराणिक मंत्र🍁
🌻सर्व मंगल मांगल्यै शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्यै त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते