Spread the love

जिन लोगों के यहां माताएं बहने या लोग अष्टमी का पूजन करते हैं(पूजीजातीहै) वह लोग (सप्तमी 28मार्च 2023 दिन मंगलवार) को ही अष्टमी के लिए व्रत रखेंगे और फिर 29 मार्च 2023 दिन बुधवार को पूजा पाठ, हवन यज्ञ ,कन्या लागुरा जमाने के बाद ही व्रत का पारण करेंगे*
🌷सप्तम मॉ कालरात्रि 28 मार्च 2023 दिन मंगलवार🌷
🌻 चैत्र शुक्ल पक्ष सप्तमी (7)दिन मंगलवार मृगशिरा नक्षत्र सौभाग्य योग वव करण के शुभ संयोग मै 28मार्च 2023 को मां कालरात्रि की पूजा घर घर होगी मां कालरात्रि की पूजा पाठ पूजा विधि के विषय में विस्तृत जानकारी दें रहे हैं पंडित हृदय रंजन शर्मा |
🍁माता का चोला (हरा) शुभ रंग (गहरा नीला )भोग गुड़ और चने का भोग लगाने से मनुष्य को मृत्यु भय हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो जाता है 🌸 माँ दुर्गा की सातवी शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है देवी भगवती का यह है यह हर स्वरुप अनंत है मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है लेकिन यह सदैव शुभ फल देने वाली है इसी कारण उनका नाम शुभंकरी भी है काल को जीतने वाली काली जी देवियों की केंद्रीय सत्ता है भगवान शंकर की शक्ति के रूप में वह कभी रुद्राणी बनकर भक्तों का कल्याण करती हैं तो कभी चंडिका बनकर चंड मुंड का संहार करती हैं वह रक्तदंतिका बंद कर रक्तबीज का वध करती हैं देवासुर संग्राम में दैत्यों का सर्वनाश करती है सांसारिक प्राणी जिन-जिन चीजों से दूर भागता है वह सब शंकर जी और काली जी को प्रिय है वह नर मुंडो की माला पहनती हैं.भस्म,श्मशान और बलि मां काली को प्रिय हैदुर्गा पूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा और आराधना की जाती है मां कालरात्रि दुष्टोंका नाश करने वाली है दैत्य, दानव, राक्षस, भूत -प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं यह सभी ग्रह बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं एक बारगौरवर्णा देवीजीको शंकर जी ने काली कह दिया तबसे मॉकाली नाम से वह लोग प्रसिद्ध हो गई अखंड ज्योति जला कर काले तिलों से पूजा करने और रात्रि जपतपम करने से मां काली प्रसन्न होती है सप्तमी को रात्रि यज्ञ करने से साधक के सारे मनोरथ पूर्ण हो जाती हैं इस दिनसाधक का मन सहस्त्रार चक्र में होता है मां केइस स्वरूप को अपने हृदय मेंअवास्थिकर साधक को एक निष्ठ भाव से उनकी आराधना करने से विशेष लाभ होता है
🌸ग्रह बाधा दूर करने वाली हैं माता कालरात्रि, मां कालरात्रि का स्वरूप भयानक होने के बावजूद भी वह शुभ फल देने वाली देवी हैं मां कालरात्रि नकारात्मक, तामसी और राक्षसी प्रवृत्तियों का विनाश कर भक्तों को दानव दैत्य आदि से अभय प्रदान करती हैं नवरात्र के सप्तम दिन मां कालरात्रि की उपासना से प्रतिकूल ग्रहों द्वारा उत्पन्न की जाने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं और जातक अग्नि, जल ,जंतु ,शत्रु आदि के भय से मुक्त हो जाता है मां कालरात्रि का स्वरूप भयानक होने के बावजूद भी वह शुभ फल देने वाली देवी हैं मां कालरात्रि नकारात्मकता, तामसी और राक्षसी प्रवृत्तियों का विनाश कर भक्तों को दानव, दैत्य, भूत प्रेत आदि से अभय प्रदान करती है मां का यह रूप भक्तों को ज्ञान और वैराग्य प्रदान करता है वह घने अंधेरे की तरह एकदम गहरे काले रंग वाली है सिर के बाल बिखरे रहने वाली माता के तीन नेत्र हैं तथा इनके स्वास से अग्नि निकलती है कालरात्रि मां दुर्गा का सातवां विग्रह स्वरूप हैं इनके तीनों नेत्र ब्रह्मांड के गोलों की तरह गोल हैं इनके गले में विद्युत जैसी छटा देने वाले सफेद माला सुशोभित रहती है इनके चार हाथ हैं मां कालरात्रि का भयानक रूप है लेकिन में भक्तों को शुभ फल देती हैं इनका वाहन गधा है वे अपने भक्तों की रक्षा के लिए हथियार भी रखती हैं योगी साधकों द्वारा कालरात्रि का स्मरण” सहस्त्रार चक्र” में ध्यान केंद्रित करके किया जाता है उनके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों की प्राप्ति के लिए राह खोल देती है मां कालरात्रि का पूजन से साधक के समस्त पाप धुल जाते हैं और उसे अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है कालरात्रि मां के चारों हाथों में से दो हाथों में शस्त्र रहते हैं एक हाथ अभय मुद्रा में है तथा एक वर मुद्रा में रहता है मां का ऊपरी तन लाल रक्तिम रक्तिम वस्त्र से तथा नीचे का आधा भाग बाघ के चमड़े से ढका रहता है मां की भक्ति से दुष्टों का नाश होता है और ग्रह बाधाएं अवश्य दूर होती हैं
🌷प्राचीन मंत्र🌷
🍁ॐ ऐंग हिलीम क्लीम चामुंडायै विच्चे

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *