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विश्व गौरया संरक्षण दिवस पर डीएम की अध्यक्षता में कलैक्ट्रेट के आजादी का अमृत महोत्सव पार्क में गोष्ठी का आयोजन किया गया। डीएम ने छोटे-छोटे बच्चों एवं जनसामान्य को सम्बोधित करते हुए कहा कि बदलते परिवेश में हम प्रकृति से निरन्तर दूर होते जा रहे हैं। भौतिक समृद्धि, विकास की अंधी दौड़ की वजह से भी प्रकृति में विभिन्न प्रकार के बदलाव देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रकृति से जितना दूर होता जाएगा, उसकी परेशानियां उतनी ही बढ़ती जाएंगी अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि संसार में पाए जाने वाले सभी प्रकार के जीवों का प्रकृति पर उतना ही अधिकार है, जितना कि मनुष्य का। जब प्रकृति सभी को समान अधिकार दिए हैं तो हम मनमानी कर उनके अधिकारों का हनन क्यों कर रहे हैं, इस पर सभी को सोचने की जरूरत है। यदि हमने प्रकृति से खिलबाड़ बंद नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब हमें इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। सुबोध नन्दन शर्मा ने कहा कि गौरया एक सामाजिक पक्षी है। इस अवसर पर उपस्थित आए जनसमूह को लकड़ी के बने गौरया के घोंसले एवं चिड़ियों को पानी पीने के लिए बने मिट्टी बरतन प्रदान कर पक्षियों के संरक्षण की शपथ भी दिलाई गयी।

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