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देश  में कई शिव मंदिर मौजूद हैं। लेकिन हिमाचल प्रदेश की हसीन वादियों में शिव जी का एक ऐसा मंदिर स्थित है जो वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। इस मंदिर की कई ऐसी खास बातें है जो आपकोहैरान कर देंगी !

हमारे भारत में ऐसे कई मंदिर पाए जाते हैं जिनके पीछे कई पौराणिक कथाएं और रोचक तथ्य छिपे होते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है जटोली शिव मंदिर। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित यह मंदिर केवल भारत का ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर हैं। इसकी ऊंचाई लगभग 111 फुट है। 2013 में इसे दर्शनार्थ खोला गया था। यहां दूर-दूर से भक्त, भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। यहां महाशिवरात्रि के दिन अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए भारी संख्या में शिव भक्त उमड़ते हैं। वास्तुकला की दृष्टि से भी यह एक अद्भुत मंदिर है।

इस मंदिर की क्या है खास बात

एशिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर राजगढ़ रोड पर स्थित है, और यह सोलन से लगभग 8 किमी दूर है। जटोली शिव मंदिर में एक हैरान कर देने वाली विशेषता यह है कि इसके पत्थरों को थपथपाने से डमरू की आवाज आती है। यह मंदिर दक्षिण-द्रविड़ शैली में बना हुआ है। इसे बनाने में पूरे 39 वर्ष का समय लगा था। मंदिर के ऊपरी छोर पर 11 फुट ऊंचा एक विशाल सोने का कलश भी स्थापित है, जो इसकी सुंदरता को और भी बढ़ा देता है।

पौराणिक कथा क्या है ?

इस मंदिर के पीछे मान्यता है कि पौराणिक समय में भगवान शिव यहां आए और कुछ समय के लिए यहां रहे थे। बाद में सिद्ध बाबा श्री1008 स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने यहां आकर तपस्या की। उनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। मंदिर के कोने में स्वामी कृष्णानंद की गुफा भी है।

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