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अपनी खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर भारतीय बासमती चावल दुनियाभर में खासा पसंद किया जाता है। इस विशेषता को देखते हुए प्रदेश सरकार बासमती चावल के निर्यात पर जोर दे रही है। बासमती चावल का निर्यात होने से धान उत्पादकों को न केवल फसल का लाभकारी मूल्य प्राप्त हो सकेगा, बल्कि देश को विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी। कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने फार्च्यून राइस की ओर से आयोजित बासमती किसान जागरूकता गोष्ठी में व्यक्त किये। विकासखण्ड चण्डौस के ग्राम एलमपुर में आयोजित गोष्ठी में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में बासमती चावल का उत्पादन बहुत बड़े क्षेत्र में किया जाता है। लेकिन उत्पादन के अनुपात में हमारा निर्यात कहीं कम है। इसकी वजह जरूरत से कहीं ज्यादा रासायनिक खादों, कीटनाशकों का प्रयोग एवं मानक के अनुसार प्रोसेसिंग न होना है। सरकार की कोशिश है कि इन कमियों को दूर करते हुए किसानों को उचित लाभ दिए जाने के साथ ही बासमती चावल के निर्यात को बढ़ाया जाए। प्रदेश के 30 जिलों को बासमती चावल के लिए जीआई टैग मिला हुआ है। बासमती धान को उपजाएं, खेती लागत को कम करें। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि बासमती की जीआई एवं गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए गर्मी का धान न लगाएं। जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह ने बताया गया कि बासमती धान की खेती एक लंबे समय से होती आ रही है। हरित क्रांति के बाद भारत में खाद्यान्न की आत्मनिर्भर्ता, बासमती धान की विश्व में मांग और निर्यात को ध्यान में रखते हुए इस की वैज्ञानिक खेती काफी महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने कहा कि ऐसे किसान जो किसान सम्मान निधि के लाभ से वंचित रह गए हैं 10 जून तक शिविर का लाभ उठाते हुए औपचारिकताएं पूर्ण कराएं। पात्र लाभार्थी आयुष्मान गोल्डन कार्ड बनवा लें। 15 दिन के लिए चल रहे अभियान का लाभ उठाकर अविवादित विरासत के प्रकरणों का निस्तारण करा दें।

By admin

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