राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन श्री वार्ष्णेय महाविद्यालय, अलीगढ़ में टेक्निकल सेशन आयोजित किया गया । जिसमें विषय भारत -चीन संबंध में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परिपेक्ष रहा ।टेक्निकल सेशन के चेयरपर्सन प्रोफेसर यू.पी. सिंह प्राचार्य, लाजपत राय कॉलेज, साहिबाबाद ने भारत और चीन की सांस्कृतिक समानता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही भारत और चीन सांस्कृतिक अभिलेखों का आदान प्रदान करता रहा है और बहुत से शोधार्थी चीन से भारत आए और शिक्षा ग्रहण की ।टेक्निकल सेशन की रिसोर्स पर्सन श्री वार्ष्णेय महाविद्यालय, अलीगढ़ में राजनीतिक विज्ञान की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रिचा बजाज ने भारत के सामने भारत और चीन सीमाओं का विवाद किस प्रकार एक जटिल समस्या है, उस पर प्रकाश डाला। द्वितीय प्रवक्ता डीएस कॉलेज, अलीगढ़ से आए असिस्टेंट प्रोफेसर अमर सिंह ने कहा कि चीन भारत के लिए एक प्रतियोगी और एक चुनौती है। श्री वार्ष्णेय कॉलेज, अलीगढ़ से अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्षा प्रोफेसर नीता ने चीन भारत संबंधों में फिल्मों की भूमिका पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया । सत्र का संचालन डॉ रोली अग्रवाल तथा डॉ नंदिता सिंह द्वारा किया गया । गोष्ठी के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर गुलरेज उपस्थित रहे । इस अवसर पर भारत एवं चीन के रिश्तों पर शोध पत्रिका हिंदी संस्करण का भी विमोचन किया गया । समापन सत्र में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य एवं राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर अरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि भारत एवं चाइना के संबंध प्राचीन काल से रहे हैं और अब उनको यथार्थवादी दृष्टिकोण से नया रूप देने का समय है । मंच संचालन डॉ तनु वार्ष्णेय द्वारा किया गया । आयोजन सचिव डॉ अक्षय कुमार ने सेमिनार की रिपोर्ट को सबके समक्ष प्रस्तुत किया । सैन्य विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ वीरेश कुमार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया । सेमिनार में मुख्य रूप से डॉ शिवेंद्र शाही, डॉ प्रीतम कुमार तथा डॉ अमरेंद्र कुमार तिवारी का विशेष योगदान रहा ।