🍁चैत्र शुक्ल पक्ष (3) तृतीया शुक्रवार अश्विन नक्षत्र, वैधृति योग, गर करण के शुभ संयोग में 24 मार्च 2023 को ही माता के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा घर घर होगी |
🏵मां दुर्गा की तीसरी स्वरूप का नाम चंद्रघंटा है ,नवरात्रि उपासना मै तीसरे दिन इन्ही के विग्रह का पूजन किया जाता है ,इनका यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है माता चंद्रघंटा के सिख पर घंटे के आकार का अर्धचन्द्रऔर हस्त मे घंटा है इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है आवाहन ,संकल्प और नाद के रूप में आराध्य यह है देवी सरस्वती का रुप है मां चंद्रघंटा कीमुद्रासदैव युद्ध के लिए अभिमुख रहने से भक्तों के कष्टों का निवारण शीघ्र कर देती है इनका वाहन सिहं है अतःइनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है, देवासुर संग्राम में देवी जी ने घंटे की नींद से अनेकानेक असुरोका दमन किया ऐसा शोर और नांद का ऐसा असर हुआ किअसुरकाल के ग्रास बन गएइनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों की प्रेतबाधा आदि से रक्षा करती है शास्त्रों मेसुर और संगीत दोनों की ही मुद्रा शांत और आत्मा विभोर करने वाली मानी है सुर और संगीत दोनों को ही वशीकरण का बीज मंत्र समझा गया है चंद्रघंटा देवी इसी की आराध्य शक्ति है चंद्रमा शांति का प्रतीक है और घंटा नाद का मां चंद्रघंटा नादके साथ शक्ति का संदेश देती है देवी की आराधना में नाद पर विशेष ध्यान दिया गया है वादन और गायन(गाना) दोनों ही नाद के प्रतीक है मां चंद्रघंटा के साधक और उपासकजहां भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शांति और सुख का अनुभव करते हैं नवरात्र के तीसरे दिन साधक का मन “”मणिपुर चक्र “”में प्रविष्ट होता है मां के इस स्वरूप की आराधना के लिए “सिद्ध कुंजिका “स्त्रोत का पाठ मंगल फलदाई माना गया है**
