दशलक्षणपर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म पर खिरनी गेट स्थित श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगंबर जैन ट्रस्ट मंदिर में श्रीजी का श्रावकों ने अभिषेक शांतिधारा, पूजन सांगनेर से पधारे आचार्य संस्कार शास्त्री के निर्देशन मे संपन्न हुई । बाग वाले मंदिर में मुनि अनुकरण सागर ने उत्तम तप धर्म पर अपने प्रवचन में कहा तप से मुक्ति के द्वार खुलते हैं । तप पकाने की प्रयोगशाला है । तपने के बाद ही आत्मा परमात्मा बनती है । फसल तपती है । तभी पकती है । दूध पकता है। तपने के बाद। धरती सूरज दीपक सभी तपते हैं तीर्थंकर, जैन संत व जैन विद्वान का भी उपदेश है तपो शरीर तपेली है। आत्मा दूध तपे बिना आत्मा शुद्धि भी नही होती है। आत्मा को स्वर्ण बनाना है तो इसे तपाना पड़ेगा। तब से ही परमार्थीक लक्ष्य प्राप्त हो सकता है खुद में खुद को पाना ही तप है । मुक्ति के लिए तप अंतिम और एकमात्र जतन है। शाम को आरती, प्रवचन एवं गंगेरवाल जैन सभा एवं गंगेरवाल जैन सभा महिला प्रकोष्ठ द्वारा धार्मिक संगीतमय हाऊजी मनोरंजक खेल कराया गया है। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रशान्त सिंघल महापौर एवं प्रद्युम्न कुमार जैन, विजय कुमार जैन ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यक्रम के प्रायोजक सरोज जैन धर्मपत्नी रामकुमार जैन, स्नेहलता जैन धर्मपत्नी त्रिलोक चन्द्र जैन ने सभी विजयी प्रतियोगियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया। समिति के पदाधिकारियों द्वारा अतिथियों का माला शॉल एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन अंशुल जैन, नरेश कुमार जैन, अर्चना जैन, मोना जैन ने किया। आभार राजीव जैन अध्यक्ष, नीरज जैन मंत्री ने किया। इस मौके प्रद्युम्न कुमार जैन, हरिकांत, रामकुमार जैन, मनोज जैन, गौरव जैन, नवनीत जैन, पवन जैन, हेमंत जैन, प्रशांत जैन, कुणाल जैन, राजा जैन, सत्यम जैनउपस्थित रहे।