रंगभरी एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल रंगभरी एकादशी 3 मार्च को मनाई जाएगी।

मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु की और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह माना जाता है कि इस व्रत के फल में मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है |
रंगभरी एकादशी के दिन काशी विश्वनाथ मंदिर वृंदावन में रंग और गुलाल लगाए जाते हैं। ऐसा बोला जाता है कि इस दिन से होली का उत्सव शुरू हो जाता है। इस दिन से घरों में रंगोलियां बनना शुरू हो जाती हैं। रंगभरी एकादशी मनाने के पीछे एक कारण माना जाता है कि इस दिन विवाह के बाद माता पार्वती और भगवान शिव पहली बार काशी आए थे।इसलिए इस दिन घर में भगवान शिव और माता पार्वती के रंग और अबीर लगाया जाता है|
तिथि और शुभ मुहूर्त
तिथि की शुरुआत 2 मार्च 2023 को सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर होगी और अगले दिन 3 मार्च 2023 को सुबह 9:11 तिथि की समाप्ति होगी।व्रत पारण का समय 4 मार्च 2023 को सुबह 6 बजकर 44 मिनट से 9:03 होगा|
एकादशी का महत्व
मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव यानि बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गौना कराकर रंगभरी एकादशी के दिन पहली बार काशी लेकर आए थे. तब शिव गणों और भक्तों ने भगवान शिव और माता पार्वती का स्वागत रंग और गुलाल से किया था. यही कारण है कि रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है और उन्हें लाल गुलाल और रंग अर्पित किया जाता है. इसके साथ ही कहा जाता है कि जब बाबा विश्वनाथ माता गौरी को पहली बार गौना कराकर काशी लाए थे तब उनका स्वागत रंग, गुलाल से हुआ था और यही कारण है कि इस वजह से हर साल काशी में रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ और माता गौरी का धूमधाम से गौना कराया जाता है. इस दिन बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती की पूरे नगर में सवारी निकाली जाती है और उनका स्वागत लाल गुलाल और फूलों से होता है. रंगभरी एकादशी को काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन होता है.