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कल के लिए आज बचाएं जल, जल ही जीवन है, जल है तो कल है। ऐसे ही स्लोगन आपको नगर निगम/जल कल, जल निगम के द्वारा प्रचार के रूप में दीवारों पर दिखाई देते होंगें। लेकिन अगर हम बात करें जल बचाने या जमीन के अंदर हो रहे जल स्तर को बचाने की तो यह विभाग सबसे नीचे पायदान पर है। लगातार कम बारिश के चलते भूमि के अंदर जल के गिरते स्तर को बढ़ाने के लिए सबसे कारगर उपाय वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है। जी हां अगर हम बात करें ऐसे स्लोगन के माध्यम से जल बचाने की जागरूकता का झंडा उठाने वाली खुद नगर निगम की स्थिति उस कहावत को चरितार्थ करती है चिराग तले अंधेरा। सरकारी गाइड लाइन के अनुसार कोई भवन अगर 300 मीटर या उससे ज्यादा में बना है चाहे सरकारी परिसर हो या आवासीय परिसर ये सिस्टम लगाना आवश्क है इसके बिना विकास प्राधिकरण नक्शा पास नहीं करता है।
नगर निगम सेवा भवन परिसर में 2 सिस्टम वर्ष 1995 में जब निगम बना था लगे हुए हैं। शुरू में इन सिस्टम का पूरा ध्यान रखा जाता था। बारिश से पहले साफ सफाई करा दी जाती थी कि बरसात का स्वच्छ जल ही जमीन मे जाए। छत द्वारा बारिश का पानी सिस्टम में जाए बारिश से पहले छत की सफाई कराई जाती है। लेकिन पिछले कई वर्षो से निगम खुद इस सिस्टम की सुध लेना भूल गया। वर्ष 2020 में महापौर के कार्यालय जवाहर भवन में भी यह सिस्टम विशेष रूप से लाखों रुपए खर्च कर बनाया गया था कि यहां जल भराव न हो, आज ज़मीनोजद हो चुका है। जीएम जल अनवर ख्वाजा से जब इस सिस्टम की आज की क्या स्थिति है चालू है या नहीं तो उनका जवाब था टोटल 8 सिस्टम निगम द्वारा स्कूल हॉस्पिटल में लगवायेगे गए हैं। जीएम जल को जानकारी ही नहीं है की निगम के सिस्टम चालू हैं या नहीं इनकी आज क्या स्थिति है के सवाल पर बोले मैं दिखवाता हूं।

By admin

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