शहर के रिहायशी इलाकों,बाजारों, कालोनियों,गलियों में घूमते गौ वंशो/पशुओं को लेकर राहगीर अक्सर चोटिल होते रहते हैं।जिस विभाग को इन आवारा घूमते गौवंशो को पकड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई है उस विभाग के मुखिया पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ राजेश वर्मा का सीधा जवाब मेरा काम है पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम का संचालन करवाना आवारा पशु नियंत्रण से संबंधित तथा गौ आश्रय स्थल का मैनेजमेंट करने का दायित्व है ट्रीटमेंट करने का दायित्व नहीं है ज़बाब दिया कि हम रोज 10 से 11पशुओं को पकड़ कर जुर्माना वसूल कर कार्यवाही करते हैं।गौशालायों में अब इन घूमते पशुओं के लिए जगह नहीं है।निगम केवल पशु मालिक पर जुर्माने की कार्यवाही करते हुए पशु को वापिस कर देता है इधर जुर्माना अदा किया उधर पशु मालिक फिर से अपने पशु को सड़कों पर छोड़ देता है।मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के क्रम में 31दिसंबर 2023 तक कोई आवारा पशु सड़कों पर नहीं दिखाई देना चाहिए संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगें।अपने शहर में खास कर निगम सीमा अंतर्गत तो हाल बेहाल है स्कूल कॉलेज के आस पास बाजारों रिहायशी इलाकों में आप हर समय इन आवारा गौवंशो को घूमते बैठे हुए देख सकते हैं कभी कोई दुर्घटना भी हो सकती है इन घूमते आवारा पशुओं से आपको अपनी सुरक्षा स्वयं करनी है क्योंकि करोड़ों रुपए टैक्स के रूप में वसूल करने वाला निगम और उसके जिम्मेदार अधिकारी एसी में बैठ कर ऑन लाइन रिपोटिंग कर इति श्री कर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं।डॉ राजेश वर्मा का यह भी कहना है,क्या हमारे पास पर्याप्त गौ आश्रय स्थल हैं सभी आवारा पशुओं को पड़कर संरक्षण किए जाने हेतु?डेरियों पर भी केवल जुर्माने की कार्यवाही कर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है शहर में बहुत सी डेरियां ऐसी भी हैं जिन पर निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की क्योंकि सूत्र बताते हैं कि महीने दारी तय है और समय पर सब कुछ सेट हो जाता है।सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या शिकायत पर ही किसी पर कार्यवाही होती है संबंधित विभाग क्यों आखें मूंदे बैठा रहता है।जब निगम के पशु चिकित्सा कल्याण अधिकारी से बात करनी चाही तो उन्होंने संवाददाता का मोबाइल ब्लैक लिस्ट में डाल दिया कारण एटी न्यूज द्वारा गौशाला की अव्यवस्था पर खबर प्रकाशित की थी।