सकट चौथ का त्यौहार मंगलवार 10 जनवरी 2023 को ही मनाया जाएगा सकट चौथ का त्यौहार माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि इस दिन संकट हरण गणपति गणेश जी की पूजा होती है इस दिन कच्चे तेल को गुड में कूटकर तिलकुट बनाते हैं इसे तिलकुटा भी कहते हैं खाने में तेल में सिकने वाली चीज बनाते हैं जैसे कचौड़ी बरूला चीले गुडवबाजरे के आटे की टिकिया आदि एक चकले पर चंदन या रोली से देवता को काडते हैं एक दीपक जलाते हैं 1 घंटे में पानी तिलकुट 4या 8कचौड़ी रख लेतेहैं इस दिन गणेश जी की पूजा होती है पूजा के बाद सकट की कहानी सुनते हैं पूजा करके खाना खाते हैं यह त्यौहार किसी के यहां दिन का होता है किसी के यहां रात का होता है इस दिन पुत्रवती स्त्रियां निर्जल रहकर शाम को फलाहार करती हैं इस दिन तिल को भूनकर गुड़ के साथ कूटा जाता है इससे तिलकुट का पहाड़ बनाया जाता है कहीं-कहीं तिलकुट का बकरा बनाकर उसकी पूजा करते हैं घर का कोई पुत्र उसकी चाकू से गर्दन काटता है यह त्यौहार किसी के यहां दिन का होता है किसी के यहां रातका होता है किसी के लड़का हो या नई शादी हुई हो तो कुड़वा रा लेने की परंपरा है इस दिन चंद्रमा की भी पूजा करते हैं किसी के यहां दिन की पूजा होती है जो सूर्य की पूजा करते हैं.)
सकट चौथ की कथा किसी गांव में देवरानी-जेठानी रहती थी, जेठानी बहुत गरीब थी देवरानी बहुत धंनवानथी, पैसे वाली थी, देवरानी के घर का काम चौका बर्तन सफाई झाड़ू जेठानी किया करती थी एक दिन संकट चौथ का त्यौहार आया जेठानी ने देवरानी से कहा कि आज त्यौहार है गुड दे दो तो देवरानी ने मना कर दिया, अपने घर जाकर उसने कुछ नहीं बनाया बथुआ की टिक्की रोटी बना कर पूजा कर ली,रात को उसके घर वाले ने उसे बहुत मारा आधी रात के करीब सकट देवता आए ,तो बेचारी भूखी प्यासी रो रही थी ,सकट देवता ने कहा मुझे भूख लग रही है उसने कहा कि मेरे पास तो कुछ नहीं है ,बथुआ की रोटी है इसको खाओ तो खा लो सकट देवता ने खा लिया इसके बाद बोले कि मैं सो जाऊंगा कहां जाऊं जेठा ने कहा कर लो चारो कौने पांचवी दहलीज सकट देवता ने ऐसा ही किया सकट देवता ने कहा कि पौछूं किस्से कब जेठानी ने कहा पूछ लो मेरी ललाट से सकट देवता ने ऐसा ही किया सकट देवता चले गए सुबह उठकर देखा तो सारे घर में हीरा मोती सोना जवाहरात हो गई जेठानी ने देवरानी ने कहा कि आज जेठानी काम करने नहीं आई चलो चल कर देखूं देवरानी ने कहा कि उसके घर में तो ढेरों हीरा सोना पड़ा हुआ है देवरानी ने कहा कि तुम काम करने क्यों नहीं आई जेठानी ने कहा कि अब मैं काम क्यों करुं मुझे तो सकट देवता ने सब कुछ दे दिया देवरानी ने कहा तुमने क्या किया कैसे खुश हुए सकट देवता मुझे बताओ , कृपया मुझे बताओ तब सब कुछ उसने उसे बता दिया दूसरे साल जब सकट चौथ आयी तो उसने ऐसा ही खाना बनाया और अपने पति से कहा मुझे मारो रात को सकट देवता आते है उसने ऐसा ही किया जो जेठानी ने उसे बताया था सकट देवता ने चारों कोने पांचवीं दहलीज में शौच कर ली और उसके ललाट से पौछ लिया सुबह उठकर देखा तो मक्खी भिनभिना रही थी तो देवरानी-जेठानी से लडने लगी जेठानी ने कहा मैंने तो ना होते पैसा किया ,तूने तो होते हुए भी ऐसा किया सकट महाराज जैसी जेठानी पर कृपा करी वैसे ही हम सब पर कृपा करना जय हो सकट महाराज आपकी।