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विश्व स्तनपान सप्ताह हर वर्ष 1 अगस्त से 7 अगस्त तक मांओं को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। विश्व स्तनपान सप्ताह के संबंध में हमारे प्रतिनिधि से महानगर के वरिष्ठ होम्यो चिकित्सक डॉ. एसके गौड़ ने कहा कि मां शब्द विश्व में अद्भुत समर्पण व आत्मीयता के कारण सर्वोच्च है। शिशु की सुरक्षा मां आँचल से अधिक कहीँ नहीं। इसीलिए बच्चा पैदा होते ही प्रकृति वक्षों में दूध भेज देती है। इसलिए बच्चा पैदा होने के 5 घण्टे तक स्तनपान जरूरी है क्योंकि यह गाढ़ा हल्का,पीला, कोलेस्ट्रा जो रोग से लड़ने की क्षमता (इम्यून शक्ति)बढ़ाता है। स्तनपान कराने से बच्चे और मां के बीच आत्मिक लगाव बढ़ता है। बच्चे का बौद्धिक स्तर उच्च कोटि का होकर संस्कार युक्त जीवन वाला बनता है। स्तनपान कराने वाली मांओं में स्तन कैंसर की शिकायत काफी कम या नगण्य रह जाती हैं। क्योंकि उन्होंने प्राकृतिक नियमों का अनुसरण किया। मां का दूध सुपाच्य होने से शिशु को अनेकों बीमारियों जैसे दस्त, उल्टियां, कब्ज, गैस, एनीमिया आदि से महफूज रखता है। वरिष्ठ होम्यो चिकित्सक डॉ. एसके गौड़ ने इस अवसर पर सरकार से अपील करते हुए कहा कि रक्त बैंक की भाँति अस्पतालों में अधिक से अधिक मां-दुग्ध बैंक हेतु प्राथमिकता दें। जिससे अनेकों बच्चों को बीमारियों से बचाया जा सके।

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