यह त्यौहार श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दूसरे दिन मनाया जाता है यह त्यौहार 08 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा इसमें एक चकले पर चंदन से गाजदेवता बना लेते हैं जितनी गाजली थी सब रख लेते हैं 1 घंटे में पानी, एक दीपक, एक कटोरा गेहूं, थोड़ी सी घास व जितनी गाज ली थी उतनी मीठी पूड़ी बनाकर चकले पर रख लेते हैं गाज माता की कहानी सुनकर पूजा करके पूडी मिसरानी को दे देते हैं गजरौटा बनाते हैं एक औरत के हिसाब से 2 गज रोटा रखते हैं एक फीका एक मीठा एक थाली उन्हें में पूजा के पास ही रख लेते हैं उन्हें कहानी सुनकर व गाज खोलकर अपने दोनों गजरोटा को आप ही खाते हैं गाज इस तरह से खोलते हैं दोनों गजरौटा मै से जरा सा टुकड़ा लेकर साड़ी के पल्लू कोने में रखते हैं उस पर दही या रात का पंचामृत डालकर साबुत निकल जाते हैं दातोंसे नहीं चबाते हैं दो बार ऐसा ही करते हैं निकलने से पहले कहते हैं गाज खोलू काहे पर, धनपे, दौलत पर ,बच्चों पर, सुहाग पर, ससुराल पर, ऐसे एक दूसरे से मिलकर कहते हैं इसी को गाज खोलना कहते हैं कहानी व पूजा के बाद खुली हुई गाज घास बाहर सड़क पर गोबर में गाड़ देते हैं गेहूं भी मिसरानी को दे देते हैं बच्चों की गाज के हिसाब से आटे की मठरी भी बनाते हैं*
गाज माता की प्राचीन पौराणिक कथा
भादो गर्जी बामनी गाज लेकर आई ,बामनी राजा नल की रानी से बोली गाज ले लो रानी ,रानी गाज कैसे खोली जाती हैं तब बामनी ने कहा सवा सेर आटे के 2 गजरोटा बनाए जाते हैं रानी बोली सवा पान का बीड़ा तो मुझेपर खाया नहीं जाता इस पर सवा सेर का गजरौला कौन खाएगा बामनी चली गई, उसके जाने के पश्चात राजा नल पर गरीबी आ गई 1 दिन राजा रानी से बोला देश छोड़कर परदेस भीख मांगने चलते हैं पहले राजा अपनी बहन के यहां गया दरबारियों से कहला भेजा कि हमारी बहन से कह दो कि तेरा भैया आया है बहन ने दरबारी से पूछा कि मेरा भाई किस हालत में आया है दरबारी बोला बड़ी बुरी हालत में आए हैं बहन ने कहा कि भाई को कुम्हार के अंबे (कमरे )पर रुकने को कहा जब बहन थाली भरकर हीरे जवाहरात मोती भाई को देने को लाई तो उसके थाल भरे हीरे जवाहरात मोती राख हो गए राजा उन्हें वहीं गाड़ कर आगे चल दिया, आगे चलकर दोनों राजा के मित्र के यहां पहुंचे कहा दोस्त तेरा दोस्त आया चला आवे महल में, आधी रात के समय रानी ने देखा के खूंटी पर सोने का हार लटका हुआ है उसको खूंटी निगले जा रही है राजा रानी वहां से भी चल दिए चलते चलते खूब भूख लगने लगी राजा बोला तालाब से मछली पकड़ लाऊँ, लेकिन सारी मछली तालाब में ही सरक गई तीतर पकड़ने पर भी उड़ जाते चलते-चलते राजा रानी एक तेली के यहां पहुंचे और नौकरी करने लगे भादो गर्जी तेलिन के घर बामनी गाज लेकर आई, रानी बोली हमें भी गाज दे दो, इस पर बामनी बोली सवापान का बीड़ा तो तुम पर खाया नहीं जाता सवा सेर का गजरौटा कैसे खाओगी रानी कंबल से डोरा निकालकर गाज बाधली और तेली से बोली आज मुझे जो के बदले सवा सेर गेहूं और तेल दे देना ,रानी ने गाज खोली उसके प्रभाव से राजा के दिन बदल गए एक दिन तेली जब शहर पांसे खेलने बाजार जा रहा था तो राजा ने तेली से कहा मेरे सारे पांसे ले जाओ राजा ने तेली से कहा जब इन पांसों को चलो तो कहना चल रे नलुआ के ,इस प्रकार तेली जीतता गया राजा मगध ने पूछा कि यह पांसे किसके हैं तो तेली ने कहा कि यह राजा नल के पांसे हैं दोनों राजाओं की पत्नियां गर्भवती थी राजा मगध ने राजा नल से कहा कि अगर तेरे लड़का होगा और मेरी लड़की होगी तो इनका विवाह करेंगे बहुत दिन बीत गए तब राजा नल रानी से बोला रानी अब हम अपने देश को चलें जब वह चले तो तालाब से मछलियां निकलकर रानी के पैरों पर लिपटने लगी तब दोस्त के यहां गए तो खून्टी खुद ही हार उगलने लगी राजा अपनी बहन के यहां पहुंचा तो खबर कर दी और उसी कुम्हार के यहां आकर रुका था थालभरी राख हीरे मोती हो गए फिर राजा अपनी नगरी पहुंचकर सुखी पूर्वक रहने लगे 🔥 हे गाज माता जैसे राजा नल पर कृपा करी है ऐसी कृपा आप सभी पर कृपा आपकी जय जय कार हो
यह त्यौहार श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दूसरे दिन मनाया जाता है यह त्यौहार 08 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा इसमें एक चकले पर चंदन से गाजदेवता बना लेते हैं जितनी गाजली थी सब रख लेते हैं 1 घंटे में पानी, एक दीपक, एक कटोरा गेहूं, थोड़ी सी घास व जितनी गाज ली थी उतनी मीठी पूड़ी बनाकर चकले पर रख लेते हैं गाज माता की कहानी सुनकर पूजा करके पूडी मिसरानी को दे देते हैं गजरौटा बनाते हैं एक औरत के हिसाब से 2 गज रोटा रखते हैं एक फीका एक मीठा एक थाली उन्हें में पूजा के पास ही रख लेते हैं उन्हें कहानी सुनकर व गाज खोलकर अपने दोनों गजरोटा को आप ही खाते हैं गाज इस तरह से खोलते हैं दोनों गजरौटा मै से जरा सा टुकड़ा लेकर साड़ी के पल्लू कोने में रखते हैं उस पर दही या रात का पंचामृत डालकर साबुत निकल जाते हैं दातोंसे नहीं चबाते हैं दो बार ऐसा ही करते हैं निकलने से पहले कहते हैं गाज खोलू काहे पर, धनपे, दौलत पर ,बच्चों पर, सुहाग पर, ससुराल पर, ऐसे एक दूसरे से मिलकर कहते हैं इसी को गाज खोलना कहते हैं कहानी व पूजा के बाद खुली हुई गाज घास बाहर सड़क पर गोबर में गाड़ देते हैं गेहूं भी मिसरानी को दे देते हैं बच्चों की गाज के हिसाब से आटे की मठरी भी बनाते हैं*
गाज माता की प्राचीन पौराणिक कथा
भादो गर्जी बामनी गाज लेकर आई ,बामनी राजा नल की रानी से बोली गाज ले लो रानी ,रानी गाज कैसे खोली जाती हैं तब बामनी ने कहा सवा सेर आटे के 2 गजरोटा बनाए जाते हैं रानी बोली सवा पान का बीड़ा तो मुझेपर खाया नहीं जाता इस पर सवा सेर का गजरौला कौन खाएगा बामनी चली गई, उसके जाने के पश्चात राजा नल पर गरीबी आ गई 1 दिन राजा रानी से बोला देश छोड़कर परदेस भीख मांगने चलते हैं पहले राजा अपनी बहन के यहां गया दरबारियों से कहला भेजा कि हमारी बहन से कह दो कि तेरा भैया आया है बहन ने दरबारी से पूछा कि मेरा भाई किस हालत में आया है दरबारी बोला बड़ी बुरी हालत में आए हैं बहन ने कहा कि भाई को कुम्हार के अंबे (कमरे )पर रुकने को कहा जब बहन थाली भरकर हीरे जवाहरात मोती भाई को देने को लाई तो उसके थाल भरे हीरे जवाहरात मोती राख हो गए राजा उन्हें वहीं गाड़ कर आगे चल दिया, आगे चलकर दोनों राजा के मित्र के यहां पहुंचे कहा दोस्त तेरा दोस्त आया चला आवे महल में, आधी रात के समय रानी ने देखा के खूंटी पर सोने का हार लटका हुआ है उसको खूंटी निगले जा रही है राजा रानी वहां से भी चल दिए चलते चलते खूब भूख लगने लगी राजा बोला तालाब से मछली पकड़ लाऊँ, लेकिन सारी मछली तालाब में ही सरक गई तीतर पकड़ने पर भी उड़ जाते चलते-चलते राजा रानी एक तेली के यहां पहुंचे और नौकरी करने लगे भादो गर्जी तेलिन के घर बामनी गाज लेकर आई, रानी बोली हमें भी गाज दे दो, इस पर बामनी बोली सवापान का बीड़ा तो तुम पर खाया नहीं जाता सवा सेर का गजरौटा कैसे खाओगी रानी कंबल से डोरा निकालकर गाज बाधली और तेली से बोली आज मुझे जो के बदले सवा सेर गेहूं और तेल दे देना ,रानी ने गाज खोली उसके प्रभाव से राजा के दिन बदल गए एक दिन तेली जब शहर पांसे खेलने बाजार जा रहा था तो राजा ने तेली से कहा मेरे सारे पांसे ले जाओ राजा ने तेली से कहा जब इन पांसों को चलो तो कहना चल रे नलुआ के ,इस प्रकार तेली जीतता गया राजा मगध ने पूछा कि यह पांसे किसके हैं तो तेली ने कहा कि यह राजा नल के पांसे हैं दोनों राजाओं की पत्नियां गर्भवती थी राजा मगध ने राजा नल से कहा कि अगर तेरे लड़का होगा और मेरी लड़की होगी तो इनका विवाह करेंगे बहुत दिन बीत गए तब राजा नल रानी से बोला रानी अब हम अपने देश को चलें जब वह चले तो तालाब से मछलियां निकलकर रानी के पैरों पर लिपटने लगी तब दोस्त के यहां गए तो खून्टी खुद ही हार उगलने लगी राजा अपनी बहन के यहां पहुंचा तो खबर कर दी और उसी कुम्हार के यहां आकर रुका था थालभरी राख हीरे मोती हो गए फिर राजा अपनी नगरी पहुंचकर सुखी पूर्वक रहने लगे 🔥 हे गाज माता जैसे राजा नल पर कृपा करी है ऐसी कृपा आप सभी पर कृपा आपकी जय जय कार हो |