
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, शाखा-अलीगढ़ द्वारा जुपिटर लॉज नुमाईश मैदान के पीछे अलीगढ़ में गुरु पूर्णिमा का दिव्य उत्सव मनाया गया। असंख्य भक्त इस आयोजन में सम्मिलित हुए कार्यक्रम की शुरुआत भजनों की सुंदर प्रस्तुति और वेद-मंत्रों के उच्चारण के साथ हुई। श्री गुरुदेव की दिव्य स्मृतियों में विभिन्न भक्तिपूर्ण, मधुर भजन गाए गए, जिन्होंने साधकों के हृदयों को गुरुदेव के चरणकमलों के प्रति असीम भक्ति, प्रेम और समर्पण से भर दिया। विधिवत पूजा-अर्चना के बाद एक स्वर, एक मन, एक स्वर से आरती गाई गई। दिव्य गुरु की दिव्य स्मृति में प्रेरक विचार प्रस्तुत किए और सभी को गुरुदेव के मार्गदर्शन और निर्देशों का ईमानदारी से पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया। सभी ने उनके चरण कमलों में प्रार्थना की, कुछ ने आशीर्वाद मांगा, कुछ ने उनका साथ मांगा, कुछ ने दिशा पूछी और कुछ ने सभी के कल्याण के लिए प्रार्थना की। आँखों में आँसू और हृदय में भक्ति के साथ, प्रत्येक ने अपने भीतर दिव्यता को महसूस किया और परम शांति का अनुभव किया। साध्वी स्वाति भारती ने सत्संग प्रवचनों द्वारा व साध्वी सुमन भारती, साध्वी दिवाकरा भारती, संगीता भारती, प्रमिता भारती द्वारा भजनों के माध्यम से समझाया गया कि गुरु पूर्णिमा एक शिष्य के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह गुरु के प्रति प्रेम और कृतज्ञता प्रकट करने का दिन है। यह दिन गुरु और उनके शिष्यों के बीच शाश्वत बंधन को उजागर करता है। यह एक शिष्य के लिए अपने गुरु की पूजा करने और सतगुरु के प्रति अंतरतम और गहरी कृतज्ञता अर्पित करने का अवसर है। शिष्यों के लिए गुरु का जो महत्व है, उसे किसी भी चीज़ से नहीं मापा जा सकता, क्योंकि इस पूरे ब्रह्मांड में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसकी तुलना शिष्यों के लिए गुरु के प्रेम से की जा सके। दूसरी ओर, शिष्य केवल गुरु की कृपा का प्रत्युत्तर उन्हें आत्मिक कृतज्ञता अर्पित करके देने का प्रयास कर सकते हैं, वह भी तब जब गुरु स्वयं इसके लिए अवसर प्रदान करें। ऐसा ही एक शुभ अवसर गुरु पूर्णिमा के दिन आता है, जब गुरु शिष्यों को अपना प्यार दिखाने का दुर्लभ मौका देते हैं। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रशांत सिंघल (महापौर, अलीगढ़), मुक्ता राजा (नगर विद्यायक,अलीगढ़), विजय सिंह (जिला पंचायत अध्यक्ष) उपस्थित रहे।