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जैसा कि आप सब जानते हैं कि भारत एक सांस्कृतिक देश है, यहाँ की संस्कृति यहाँ के त्यौहार दुनिया भर में मशहूर हैं । यहाँ के जो त्यौहार होते हैं या यहाँ की जो भी संस्कृति है उनके पीछे कोई ना कोई मान्यता या कोई ना कोई कारण अवश्य होता है ।पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि लोहड़ी उत्तर भारत के मुख्य त्यौहारों में से एक है क्या आप जानते हैं कि लोहड़ी क्यों मनाई जाती है
🌺लोहड़ी -> यानि लो = आग, ओह = उपले ,एडी = रेवड़ी, इन सब का मिश्रण होता है लोहड़ी ।

लोहड़ी कैसे मनाते हैं

🏵लोहड़ी पंजाब में काफी धूम – धाम से मनाया जाता है | यदि किसी के घर में शादी हुई हो या फिर बच्चा हुआ हो तो उनके लिए तो यह त्यौहार और भी खास हो जाता है | इसमें कॉलोनी या फिर मोहल्ले के लोग एक साथ मिल कर लकड़ियाँ लाते हैं | उन लकड़ियों को अच्छे ढंग से ऊंची सी ढेरी के रूप में खड़ा किया जाता है।

🌻लोग अपने – अपने घर से मूँगफली, रेवड़ी , मक्की के दाने, मेवा लेकर आते हैं | पानी का लोटा लाते हैं | फिर शुभ मुहूर्त या फिर तय किए गए समय पर उस ढेरी में आग लगा देते हैं और फिर उसकी परिक्रमा करते हुये पानी डालते हैं और मूँगफली रेवड़ी दाने ये सब उसमें धीरे -धीरे डालते हैं और हाथ जोड़ कर नमन करते हैं | फिर नाच गाना होता है लोहड़ी के गीत गाये जाते हैं | लोग एक दूसरे से गले मिलते हैं, और एक दूसरे को लोहड़ी की शुभकामनाए देते हैं |

लोहड़ी और बच्चों का मनोरंजन – लोहड़ी से कुछ दिन पहले बच्चे घरों में मांगना शुरू कर देते हैं | वह जिस घर मांगने जाते हैं लोग उनके गीत सुनते हैं और खुश होकर उन्हें मूँगफली, रेवड़ी आटा, पैसे, दाने ये सब चीजे देते हैं | जो घर उन्हें दान देता है वो उनकी मंगल कामना करते हैं | कुछ इस तरह के गीत वो लोग सुनाते हैं –

“🔥कच्चे पे कच्चा ये घर अच्छा”
“ग्लास में ग्लास ये घर फसक्लास”

🍁और इसके विपरीत जो घर उन्हें दान नहीं देते उन्हें वह ये गीत सुनाते हैं |

“हुक्के पे हुक्का ये घर भूखा”

लोहड़ी का लोकगीत

सुंदर मुंनदरिए होए,तेरा कौन व्चारा होए,
दूल्हा भट्टी वाला होए दूल्हे की धि विहाई होए।

शेर शक्कर पाई होए,कुड़ी दा लाल पताका होए
कुड़ी दा शॉल पट्ठा होए,सोल नु कोण समेटे होए

💥चाचा चूरी कुट्टी जिम्मेदारा लुट्टी होए,जिम्मेदार शुदाई होए,
बड़े भोले आए होए,एक भोला रह गया होए,

🌟सिपाही फाड़ के ले गया होए,सिपाही मारी ईंट होए
सानु दे दे लोरी तेरी जीवे जोड़ी होए।

🌺हिन्दी अनुवाद – इस लोक गीत के अनुसार सुंदर और मुंदर नाम की दो लड़कियां थीं | उनका कोई नहीं था बस एक चाचा था वह उन दोनों की शादी ना करके उन्हें जमीदार को बेचना चाहता था | परंतु दुल्ला भट्टी वाला उन दोनों को बचा कर ले जाता है | वह एक पिता बन कर उनका कन्यादान करता है और उन दोनों की शादी पारंपरिक ढंग से कराता है | शादी जल्दबाज़ी में हो रही होती है इस कारण वह ज्यादा तैयारी नहीं कर पाता बस सवा किलो शक्कर उन्हें दे देता है | जिसका जिक्र इस लोक गीत में भी हुआ है।

🌸दुल्ला भट्टी कौन था

🏵दुल्ला भट्टी – भट्ट वंशावली से था | वह अजीम निडर और काफी चालाक था | वह अकबर के लिए दर्दे सिर बना रहा | पिंडी भटिया 1547 द्रायचिनाब के किनारे दुल्ला भट्टी का जन्म हुआ था | यह नाम उनकी माँ ने उन्हें दिया था | इनका पूरा नाम था दुल्ला भट्टी उर्फ अब्दुल्ला भट्टी अलमारुफ़ | इन्हे “रॉबिन हुड ऑफ पंजाब” के नाम से भी जाना जाता था | इनका मुगलों के साथ पैदाइशी वैर था।

🔥 उनके जन्म पर घुट्टी की जगह उन्हें अफीम मिला पानी और साह छड़ी तलवार का पानी उनके लबों पर लगाया गया था | बादशाह अकबर इतना ताकतवर होने के बावजूद उसका सामना करने से डरता था | दुल्ला भट्टी मुगलों को लूट कर गरीबों की सहायता किया करता था | वह निसफ़ से जायद पंजाब का मसीहा था | लेकिन बादशाह अकबर दुल्ला को अपने आगे झुकाना चाहता था |

⭐बादशाह अकबर ने एक ऐसा दरवाजा बनवाया जिसमें से सबको झुक कर जाना होता था | दुल्ला भट्टी ने यहाँ भी अपनी समझदारी का प्रमाण दिया उसने पहले अपनी टाँगे और बाद में सिर अंदर किया जिससे अकबर की काफी जग हसाई हुई और उसने दुल्ला भट्टी को कैद कर उसे फांसी दे दी | दुल्ला भट्टी की कब्र आज भी लहौर के मियानिसाब कब्रिस्तान में मौजूद है। मंदार पर्वत पर इस दिन विशाल मेला लगता है।

🍁पतंग उड़ाने का क्या महत्व है : – मित्रों पोष मास की सर्दी के कारण हमारा शरीर कई रोगों से ग्रसित हो जाता है | जिसका हमें पता ही नहीं चलता, पतंग उड़ाते समय हमारा शरीर सूरज की सीधी किरणों से टकराता है | जिसका सीधा व अच्छा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है | इसलिए लोग इस दिन पतंगबाजी करते हैं | इस दिन स्नान दान की परंपरा भी बरसों से चली आ रही है लोग दान करते हैं और अपने सुखी जीवन की कामना करते हैं | लोहड़ी को होलिका की बहन के रूप में भी पूजा जाता है |

🌻आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक कारण : – आयुर्वेद के मुताबिक इन दिनों में मूँगफली, रेवड़ी को खाने पर ज्यादा ज़ोर दिया जाता है | क्योंकि इन दिनों में ये सब खाना सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है तिल और गुड से हमारे शरीर में एक तेज ऊर्जा बनी रहती है | इस प्रकार से ये सब खाने से हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है | जिससे ताजगी के साथ- साथ शरीर को शक्ति भी मिलती है | इन दिनों में अग्नि जलाने से वातावरण में जो अशुध्द कण होते हैं वो दूर हो जाते है और वायु साफ हो जाती है ।

By admin

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