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हिंदू धर्म के अनुसार सूर्य जब राशि परिवर्तन करते हैं, तब संक्रांति होता है या ( उसे ही संक्रांति पर्व कहते हैं), और जब सूर्य मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तब कर्क संक्रांति की स्थिति होती है.जिस दिन कर्क संक्रांति होता है, उसी दिन से सूर्य का दक्षिणायन गमन शुरू हो जाता है. इस दिन भगवान विष्णु का व्रत एवं पूजा-अर्चना की परंपरा है. इसी दिन भगवान विष्णु योग निद्रा शुरू होती है. हिंदू धर्म में इस दिन अन्न, वस्त्र एवं अन्य उपयोगी वस्तु का दान देने से बहुत पुण्य प्राप्त होता है. कर्क संक्रांति को श्रावण संक्रांति भी कहते हैं. गौरतलब है कि सूर्य के दक्षिणायन शुरू होने से दिन छोटे होते हैं और रातें लंबी होने लगती हैं. निर्णय सागर,और ब्रज भूमि पंचांगो के अनुसार कर्क संक्रांति 16 जुलाई, रविवार को मनाया जायेगा।

  • शुभ मुहूर्त
  • सूर्य का कर्क राशि में गोचर 16 जुलाई, 2023 की रात 29:07 (प्रातः 05:07)बजे होगा।
  • अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:37 से 12:31 तक।
  • अमृत काल मुहूर्त : प्रात: 05:47 से 07:14 तक।
  • विजय मुहूर्त : 02:20 से 03:14 तक।
  • गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:37 से 07:01 तक।

मानसून की शुरुआत है कर्क संक्रांति
कर्क संक्रांति मानसून के मौसम की शुरुआत है जो कृषि के समय का प्रतीक है. और कृषि देश में आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. दक्षिणायन का समापन मकर संक्रांति के साथ होता है और उत्तरायण इसके बाद आता है. दक्षिणायन के सभी 6 महीनों के दौरान, लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. जो लोग अपने पूर्वजों के लिए पितृ तर्पण करना चाहते हैं, वे दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करने के लिए कर्क संक्रांति की प्रतीक्षा करते हैं।

  • कर्क संक्रांति के नियम, अनुष्ठान
  • सभी तरह के पापों से मुक्ति के लिए कर्क संक्रांति के दिन भक्तों को सूर्योदय में पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए।
  • इस दिन, भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और पूजा के दौरान विष्णु सहस्र नाम स्तोत्र का जाप किया जाता है. इससे भक्तों को शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
  • कहा जाता है कि इस दिन विशेष रूप से ब्राह्मणों को गुड़/अनाज, वस्त्र, गुड़ तांबे और तेल सहित सभी प्रकार के दान करना चाहिए।
  • कर्क संक्रांति पर भगवान विष्णु के साथ-साथ सूर्य देव को अर्घ्य दें और इनकी भी विधिपूर्वक पूजा की जाती है और स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए कामना की जाती है।
  • इस दिन कुछ भी नया या महत्वपूर्ण शुरू करने से बचने की सलाह दी जाती है।
  • दक्षिणायन की कुल अवधि छह महीने की होती है. मान्यता है कि दक्षिणायन से देवताओं की रात्रि शुरू हो जाती है।
  • मान्यता है कि सूर्य के दक्षिणायन में जाने से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव तेज हो जाता है. शुभ शक्तियां कम हो जाती हैं।
  • दक्षिणायन में पूजा-पाठ, दान, तप करने पर विशेष जोर दिया जाता है।
  • दक्षिणायन में देवता योगनिद्रा में होते हैं इसलिए विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार, गृहप्रवेश जैसे महत्वपूर्ण शुभ कार्य करना वर्जित होते हैं।
  • दक्षिणायन के दौरान सूर्य कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में गोचर करते हैं।

By admin

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