💥होली के तुरंत बाद चैत्र मास का प्रारंभ हो जाता है। चैत्र हिन्दू धर्म का प्रथम महीना है।
🍁चित्रा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने के कारण इसका नाम चैत्र पड़ा (चित्रानक्षत्रयुक्ता पौर्णमासी यत्र सः)।
🌸इस वर्ष 08मार्च से06अप्रैल 2023 तक (निर्णय सागर पञ्चाङ्ग के अनुसार) चैत्र का आरम्भ हो रहा है। चैत्र मास को मधु मास के नाम से जाना जाता है।
🌟इस मास में बसंत ऋतु का यौवन पृथ्वी पर देखने को मिलता है।
🔥चैत्र में रोहिणी और अश्विनी शून्य नक्षत्र हैं इनमें कार्य करने से धन का नाश होता है।
⭐महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार |
🌷जो नियम पूर्वक रहकर चैत्रमास को एक समय भोजन करते बिताता है, वह सुवर्ण, मणि और मोतियों से सम्पन्न महान कुल में जन्म लेता है ।
🌻चैत्र में गुड़ खाना मना बताया गया है। चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है मलेरिया नहीं होता है।
🏵शिवपुराण के अनुसार चैत्र में गौ का दान करने से कायिक, वाचिक तथा मानसिक पापों का निवारण होता है |
🍁देव प्रतिष्ठा के लिये चैत्र मास शुभ है।
💥चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष का शुभारम्भ होता है। हिन्दू नववर्ष के चैत्र मास से ही शुरू होने के पीछे पौराणिक मान्यता है कि भगवान ब्रह्मदेव ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी।ताकि सृष्टि निरंतर प्रकाश की ओर बढ़े।
🌸नारद पुराण में भी कहा गया है की चैत्रमास के शुक्लपक्ष में प्रथमदिं सूर्योदय काल में ब्रह्माजी ने सम्पूर्ण जगत की सृष्टि की थी।
⭐इसलिए खास है चैत्र
🔸चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रेवती नक्षत्र में विष्कुम्भ योग में दिन के समय भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था
🌺चैत्र शुक्ल तृतीया तथा चैत्र पूर्णिमा मन्वादि तिथियाँ हैं। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
🌟भविष्यपुराण में चैत्र शुक्ल से विशेष सरस्वती व्रत का विधान वर्णित है ।
🌷चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्र मनाये जाते हैं जिसमें व्रत रखने के साथ माँ जगतजननी की पूजा का विशेष विधान है।
🌻चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है।
🔥युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से माना जाता है।
🏵मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को हुआ था।
🍁युगाब्द (युधिष्ठिर संवत) का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को माना जाता है।उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को किया गया था।
🌟चैत्र मास में ऋतु परिवर्तन होता है और हमारे आयुर्वेदाचार्यों ने इस मास को स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना है।नीम के कोमल पत्ते, पुष्प, काली मिर्च, नमक, हींग, जीरा मिश्री और अजवाइन मिलाकर चूर्ण बनाकर चैत्र में सेवन करने से संपूर्ण वर्ष रोग से मुक्त रहते हैं|
