भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी दिन मंगलवार स्वाति नक्षत्र वैधृति योग विष्टि करण के शुभ संयोग में श्री गणेश जन्मोत्सव श्री गणेश चतुर्थी पत्थर चौथ कलंक चौथ 19 सितंबर दिन मंगलवार को मान्य होगी। विघ्नों के हरने वाले देवता प्रथम पूज्य पार्वतीपुत्र, शिवपुत्र, गजानन श्री गणेश की आराधना जो भक्त करता है, उसको आने वाले विघ्नों से हमेशा हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से भाद्रपद चतुर्दशी तक (दस दिन)अर्थात गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक गणेशजी की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। गणेश चतुर्थी को भगवान गणेशजी की स्थापना की जाती है, जो विशेष मुहूर्त में करना चाहिए। विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त अनुसार चर का चौघड़िया- सुबह 09.15 से 10.45तक,लाभ का चौघड़िया-सुबह 10:45से 12.15 तक,अमृत का चौघड़िया-दोपहर 12.15से दोपहर 01:45 तक ।विशेष शास्त्रानुसार गणेश पूजन का श्रेष्ठ समय वृश्चिक लग्न सहित मध्यान काल में अतिशुभ माना गया है वृश्चिक लग्न दिवाकाल10:54 से दोपहर 1:10 तक रहेगी जिसमें श्री गणेशजी की स्थापना करना अत्यंत शुभ माना जाता है।अभिजीत योग दोपहर 11.45 से 12.55 तक।अतिनेष्ट राहुकाल दोपहर 3:00 बजे से सायं 4:30 बजे तक रहेगा जिसमें श्री गणेश जी की स्थापना करना शुभ नहीं माना जाएगा।