सर्वपितृ अमावस्या पर विस्तृत जानकारी देते हुए पंडित हृदय रंजन शर्मा ने कि आश्विन कृष्ण पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या इस वर्ष 20 सितंबर की रात्रि 12:17 बजे से प्रारंभ होकर 21 सितंबर को दिन रविवार को मनाई जाएगी। इस दिन पूर्वा फाल्गुनी / उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, शुभ योग और चतुष्पद करण का संयोग है। पितृ विसर्जन और भूले-बिछड़े पूर्वजों के श्राद्ध का कार्य इसी दिन किया जाएगा। अमावस्या और पूर्णिमा की विशेषता यह है कि पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य एक ही रेखा में होते हैं, और अमावस्या में चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच स्थित होने के कारण दिखाई नहीं देता। साथ ही 21 सितंबर को विदेशों में खंडग्रास सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। यह ग्रहण भारतीय समयानुसार रात्रि 11बजे से सुबह 03:24 बजे तक रहेगा। यह फिजी, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी भाग और अंटार्कटिका में देखा जा सकेगा। भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा और इसे लेकर किसी प्रकार का सूतक या पातक दोष मान्य नहीं होगा।