डॉ. शमायल रब्बानी ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहली बार न्यूनतम इनवेसिव दृष्टिकोण (एमआईसीएस) के माध्यम से बाईपास सर्जरी (सीएबीजी) की गई है। जबकि डॉ. मोहम्मद आमिर ने कहा कि पिछले 3 वर्षों से जेएनएमसी में वाल्व संबंधी सर्जरी के लिए एमआईसीएस का नियमित रूप से उपयोग किया जा रहा है और टीम ने अब तक ऐसे 50 से अधिक मामले अंजाम दिए हैं। मेडिसिन संकाय की डीन और जेएन मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल और सीएमएस, प्रोफेसर वीणा महेश्वरी ने सफल सर्जरी के लिए डॉक्टरों और सहयोगी स्टाफ को बधाई दी।उन्होंने कहा कि यह अलीगढ़ के लिए गर्व का क्षण है कि जेएनएमसी में ऐसी जटिल सर्जरी की जा रही है। सलमान, असलम, कामरान और आयशा ने सर्जरी में सहायता की, जबकि पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल डॉ. कार्तिक, डॉ. ललिता, डॉ. प्रवीण, डॉ. सायंतन, सुहैल-उर रहमान, इमरान, नदीम और रिनू ने अंजाम दी।