नौतपा 25 मई शनिवार से हो रहा है प्रारम्भ, सूर्य जाएंगे अपने उच्च ताप में
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24 मई 2024 की रात्रि 25 मई को सूर्य देव 03 बजकर 17 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और 15 दिनों तक इसी नक्षत्र में स्थित रहेंगे। रोहिणी नक्षत्र में सूर्यदेव के प्रवेश से ही नौतपा भी प्रारंभ हो जाएंगे और इस नक्षत्र में सूर्य देव 08 जून तक रहेंगे। नौतपा से आशय सूर्य का नौ दिनों तक अपने सर्वोच्च ताप में होना है। यानि इस दौरान गर्मी अपने चरम पर होती है।
नौतपा क्या होता है?
ज्योतिष गणना के अनुसार, जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है तो उन पंद्रह दिनों के पहले नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। इन्हीं शुरुआती नौ दिनों को नौतपा के नाम से जाना जाता है। खगोल विज्ञान के अनुसार, इस दौरान धरती पर सूर्य की किरणें सीधी लम्बवत पड़ती हैं। जिस कारण तापमान अधिक बढ़ जाता है। यदि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है। ज्योतिष के सूर्य सिद्धांत और श्रीमद् भागवत में नौतपा का वर्णन आता है। कहते हैं जब से ज्योतिष की रचना हुई, तभी से ही नौतपा भी चला आ रहा है। सनातन सस्कृति में सदियों से सूर्य को देवता के रूप में भी पूजा जाता रहा है। हिंदू पंचांग में लिखा है कि ‘ज्येष्ठ मासे सिते पक्षे, अद्रादि दसतारका। सजला निर्जला गेया निर्जला सजलास्तथा’। तात्पर्य यह है कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में जिस दिन आद्रा नक्षत्र शुरू होता है, उस नक्षत्र से अगले 10 नक्षत्र तक नौतपा माना गया है। माना जाता है कि यही 10 नक्षत्र मानसून में पानी प्रदान करते हैं। नौतपा के दौरान यदि बारिश होती है तो मानसून के मौसम में सूखा पड़ने की संभावना रहती है और यदि नौतपा में भीषण गर्मी पड़े तो बारिश अच्छी होती है।खेतीबाड़ी भी बहुत अच्छी होती हैं । इस साल नौतपा में अलग-अलग दिन पड़ने वाले ऊर्जा प्रधान नक्षत्रों के प्रभाव से भयंकर गर्मी पड़ने की संभावना है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि नौतपा के नौ दिनों तक तेज गर्मी पड़ती है तो आगामी मानसून में अच्छी बारिश होती है। नौतपा के दौरान बारिश हो तो मानसून कमजोर रहता है।और खेती के लिए नुकसान दायक होता है करें यह उपाय इन दिनों व्रत उपवास और पूजा पाठ कर जल दान करना लाभकारी रहेगा। इसके साथ ही मंदिरों में भगवान की मूर्तियों को चंदन का लेप लगाने से भगवान काे शीतलता मिलेगी। नौतपा के दौरान खूब गर्मी पड़ती है और पशु-पक्षी भी परेशान हो जाते हैं। ऐसे में पशुओं के लिए चारा, पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। मजदूरों, राहगीरों को शर्बत और छाछ पिलाना चाहिए। इससे पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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