300 वर्ष बाद महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग बन रहे है।इस बार महाशिवरात्रि के साथ शुक्र प्रदोष व्रत भी है. जिससे इसका महत्व कहीं अधिक बढ़ जाएगा. साथ ही इस दिन शिव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. इन योगों में किए गए पूजा-पाठ और शुभ कार्य का कई गुना ज्यादा फल मिलता है. पंडित ह्रदय रंजन ने बताया कि इस बार महाशिवरात्रि पर शनिदेव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में विराजमान है. साथ ही सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि कुंभ में चन्द्रमा के साथ विराजित रहेंगे. ग्रहों की ये स्थिति त्रिग्रही योग का निर्माण कर रही है, जो कि फलदायी है. इस दिन निशा काल रात्रि 9 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. इस दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाएगी.महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त पहले प्रहर का समय 8 मार्च को शाम 6 बजकर 25 मिनट से रात 9 बजकर 23 मिनट तक रहेगा,दूसरे प्रहर का समय रात 9 बजकर 28 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा,तीसरा प्रहर रात 12 बजकर 31 मिनट से 3 बजकर 34 मिनट तक रहेगा,चौथा प्रहर सुबह 3 बजकर 34 मिनट से सुबह 6 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र, शिवयोग, गुरु करण और मकर/कुंभ राशि में चंद्रमा रहेगा. कुंभ राशि में सूर्य, शनि और बुध की युति रहेगी. इस प्रकार का योग तीन वृषभ में एक या दो बार बनता है, जब नक्षत्र, योग और राशि की त्रिकोण स्थिति केंद्र के साथ संबंध में आती है. जन्मदिन पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग में शिव की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. सर्वार्थ सिद्धि योग आर्थिक लाभ और कार्य सिद्धि के लिए विशेष शुभ माना जाता है. इस शुभ योग में कोई भी नया कार्य, व्यवसाय या नौकरी शुरू करना शुभ फल देने वाला माना जाता है.