त्याग के दो रूप हैं,एक सर्वस्व और दूसरा अंश:प्रवीण जैन
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खिरनीगेट स्थित लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगंबर जैन मंदिर में इंदौर से आए पंडित प्रवीण जैन ने दसलक्षण पर्व में बताया कि त्याग के दो रूप हैं,एक सर्वस्व और दूसरा अंश। जो सर्वस्व को त्यागता हैं, वह साधु होता हैं। सर्वस्व में धन-संपत्ति, घर-परिवार तो हैं ही, शरीर का मोह भी छूटता है। सब त्यागने के बाद हम अपने आपसे संबंध जोड़ पाते हैं। आप गृहस्थ हो, गृहस्थ सर्वस्व त्याग नहीं कर सकता। उसके लिए ज उसकी गृहस्थी है। उसके ऊपर स्वयं जं का, परिवार का, कुटुंब का, समाज का और देश का बहुत बड़ा दायित्व होता है। इससे पहले सुबह मंदिर में अभिषेक, शांतिधारा व पूजन किया। राहुल जैन, आयुष जैन अमरोहा परिवार व प्रद्युम्न कुमार जैन, परमेष्टि जैन, प्रमेंद्र जैन, सत्यम जैन ने पूजा की। दोपहर में पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन खंडेलवाल मंदिर पंचायत में प्रतिष्ठाचार्य, राकेश भैया के सानिध्य में महामंडल कार्यक्रम हुआ। शांतिधारा प्रदीप जैन, दीपक जैन, विजय कुमार जैन, सीमा जैन, राजीव जैन, सुमन जैन, वीरेंद्र जैन, मनोरमा जैन ने की। शाम को मेधावी छात्र-छात्रा अलंकरण समोराह व सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। इसमें प्लेग्रुप से कक्षा 11 तक के उन बच्चों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने परीक्षा में अच्छे नंबर प्राप्त किए। अध्यक्षता पूर्व एमएलसी जगवीर किशोर जैन की। मुख्य अतिथि अशोक कुमार सरोहा प्रधान आयकर आयुक्त, विशिष्ट अतिथि मुकेश अग्रवाल आयकर अधिकारी व प्रायोजक राजीव जैन पाटनी, नीरू जैन पाटनी, सागर जैन पाटनी, प्रगति जैन पाटनी रहे। अतिथियों को समिति के अध्यक्ष सुरेश कुमार जैन गढ़ी, मंत्री अम्बुज जैन, कोषाध्यक्ष नीरज जैन ने स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। संचालन अंशुल जैन ने किया।

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