चैत्र कृष्ण पक्ष तृतीया दिन गुरुवार स्वाति नक्षत्र हर्षण योग विष्टी करण के शुभ संयोग में 28 मार्च 2024 को ही शीतला पूजन (बासौडा) मनाया जाएगा l पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि पहले सोमवार/गुरूवार के हिसाब से बासौडा पूजन- गुरूवार 28 मार्च 2024 को, सप्तमी के हिसाब से शीतला पूजन(बासोडा) सप्तमी 01 अप्रैल दिन सोमवार को करना उचित रहेगा तथा शीतला अष्टमी वाले लोगों के लिए मंगलवार 02 अप्रैल 2024 को ही पूजा पाठ करना मान्य रहेगा वैसे अधिकतम यह प्राचीन त्यौहार अपने अपने क्षेत्र गली मोहल्ले के हिसाब से ही मनाया जाता है lइस दिन बासी भोजन जरूर खाया जाता है (1 दिन पहले बनाया हुआ )इसमें विशेषकर होली के बाद सोमवार या गुरुवार कभी भी खाली नहीं जाता, इसे शुभ ग्रह के बारमें करने का ही विशेष महत्व होता है इसमें पथवारी माता( योगिनी देवी) की पूजा होती है l अतः बासोड़े से 1 दिन पहले घर की महिलाएं संध्या के समय से ही पकवान बनाकर रख लेती हैं फिर प्रातः काल (तड़के )उठकर घर की मुखिया स्त्री या फिर माता एक थाली में सभी बनाए हुए पकवान रबडी,रोटी ,चावल, रोटी ,मूंग की छिलके वाली दाल, हल्दी ,धूपबत्ती एक गूलरी की माला जो होली के दिन बचा कर रखते हैं थाली में यथायोग्य दक्षिणा रखकर घरके सभी बच्चों ,पुरुष, स्त्रियों को बैठाकर उनके ऊपर से 5या 7 वार यह कहकर खाली को उतारती है कि “हे शीतला माता आप की पूर्ण कृपा से पूरे वर्ष भर मेरे घर में सभी प्रकार के रोग दोषो का नाश करना” और”मेरे घर परिवार में हर प्रकार की खुशहाली ,उन्नति के कार्य हो” यही हमारे पूर्वजों की मान्यता है जो पूर्व कालसे(पुराने समय) से आज तक वैसी ही चली आ रही है उतारा करने के बाद घर के बाहर भैरो बाबा की सवारी कुत्ते को खिलाना अति आवश्यक होता है क्योंकि कुत्ता भैरव बाबा का सूचक है भैरव बाबा भगवान शिव के कोतवाल है l अतः घर परिवार की सुरक्षा के लिए कुत्ते को सामान खिलाती हैं फिर घर के नजदीकी चमड़ा ,पथवारी (योगिनी देवी) के यहां जाकर सम्मान पूर्वक सामान का भोग लगाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं यथायोग्य दक्षिणा चढ़ाएं बचा हुआ बासी सामान घर आकर सभी लोगों को खिलाया जाता है इस दिन की विशेष महत्वता यह भी है कि इस दिन के बाद से भोजन बासी होना प्रारंभ हो जाता है l