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अब गुब्बारे के जरिए भारत की एक कंपनी पर्यटकों को अंतरिक्ष की सैर कराएगी. एलन मस्क की ‘स्पेस एक्स’ से प्रेरित होकर मुंबई स्थित ‘स्पेस औरा एयरोस्पेस टैक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड’ कंपनी ने इसके लिए दस फीट गुणा आठ फीट परिमाप का ‘स्पेस कैप्सूल या स्पेसशिप’ बनाना शुरू कर दिया है, जिसमें पायलट के अलावा एक बार में छह पर्यटक बैठकर अंतरिक्ष तक जा सकेंगे. हालांकि, स्पेस कैप्सूल पृथ्वी के ऊपर 35 किलोमीटर के दायरे में ही रहेगा.

(इसरो) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इस दिशा में एक योजना पर काम कर रहा है। इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ के मुताबिक भारत में 2030 तक अंतरिक्ष की सैर शुरू हो सकती है। इसके लिए टिकट की दर प्रति व्यक्ति छह करोड़ रुपए होने की संभावना है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (टीआइएफआर) के पूर्व वैज्ञानिकों की सहायता से कंपनी समय से लक्ष्य पूरा करने में जुटी हुई है. उन्होंने बताया कि सभी जरूरी आधुनिक सुविधाओं, जीवन रक्षक और संचार प्रणाली से लैस स्पेस कैप्सूल को एक हाइड्रोजन या हीलियम गैस से भरे हुए एक स्पेस बैलून की सहायता से समुद्र तल से 30—35 किलोमीटर उपर ले जाया जाएगा जहां पर्यटक करीब एक घंटे तक पृथ्वी की सतह और अंतरिक्ष का नजदीक से दीदार करने के साथ ही उसे महसूस भी कर सकेंगे.

बतया जा रहा है की हाई एल्टीट्यूड स्पेस बैलून में से धीरे-धीरे गैस कम की जाएगी और एक पैराशूट खोला जाएगा जिसकी सहायता से स्पेस कैप्सूल नीचे आना शुरू होगा. एक निश्चित उंचाई पर स्पेस बैलून को स्पेस कैप्सूल से अलग कर दिया जाएगा और बहुत धीमी गति से अंतरिक्ष पर्यटकों को आराम से नीचे लाया जाएगा. पोरवाल ने कहा कि पर्यटकों को सैर पर ले जाए जाने से पहले करीब एक सप्ताह तक उन्हें भारतीय योग एवं आध्यात्मिक विज्ञान की मदद से एक शांत वातावरण में रखा जाएगा जिससे उनकी यात्रा एक खुशनुमा तरीके से संपन्न हो और वह उसका पूरा आनंद ले सकें.

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